किससे हैं जीतना,
क्या हैं जीतना,
मिलेगा तो उतनाही
लिखा हैं नसीब में जितना।
इस दुनिया में नहीं
कोई बड़ा या छोटा
जो खाली हाथ आया था
वह खाली हाथ ही लौटा।
कुछ पाने के लिए
दौड़ लगी हैं दिनभर
कल की सोचतें सोचतें
करवटे बदली रातभर।
हासिल क्या करना था
आख़िर तक समझ न पाया
सांसे थम गयी तो
शरीर मिट्टी हो गया।
जीतना हैं तो दिलों को जीतो
जिससे जीवन सफल हो
अंत तो सभी का एक ही है
बनो ऐसी मिट्टी जिसकी कोई महक हो।
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