Sunday 21 January 2024

क्या कभी हमको समझे है राम?

कहते है
जब गाये कोयल तो उसके गीतों मे होते है राम
खेतों मे जब उगे फसल तो उस में होते है राम
सुखी धरती पर गगन से बरसते पानी में होते है राम
पंछी को घौसला बनाने कि हिंमत देनेवाले होते है राम।

नन्हीसी चीटी के श्रम में है राम
थके हारे को शीतल छाया देनेवाले वृक्ष में भी राम
तितली की सुंदरता में राम
झील झरनों में बहते शुद्ध जल जैसे है राम।

अंधेरे में टीमटीमाती ज्योत जैसे है राम
ठोकरे खानेवालों का हौसला है राम
सुखी डाल पर जब पत्तीयाँ खिले तो उन में होते है राम
दुर्बल की जो ढाल बने वे होते है राम।

जटायु के बलिदान को पूजनेवाले है राम
बिछडों का जो हाथ लेते है थाम
जो ना खरीदा जा सके दे कर कोई दाम
आदर्शों का जो है सर्वश्रेष्ठ धाम
मृत्यु के परे जिसका सत्य होता है नाम।

पापीयों का विनाश करते राम
फूलों की माला के धागा है राम
शीला बनी अहिल्या को भी जो जीवन दे वे है राम
भयभीत जो, उसकी ताकत है राम
मर्यादापुरुषोत्तम मनुष्य का साक्षात्कार है राम।

यदि समझना है हमको राम
काफी नही है केवल जपना राम-नाम
भीतर के रावणदहन का करना होगा काम
वायुपुत्र स्वयं देंगे बल अगर समझना है राम
जीने का मंत्र देने जो आये थे शाम
वे दुजे ना थे कोई वे तो थे खुद ही प्रभु श्रीराम।

जय श्रीराम! जय श्रीराम!! जय श्रीराम!!!