Tuesday 8 March 2016

नारी को नमन

आज तुम्हें तहे दिल से शुक्रिया मुझे कहना हैं
कितने अलग रूपों से जीवन जो तुने सवारा हैं
माँ तुने जनम दिया और सिखायी प्रेम कि परिभाषा
इस दुनिया में जीने के लिए जीवन को तराशा 



हँसता खेलता बचपन बीता बहना तेरी वजह से
लड़ना झगड़ना फिर सुलह करना ये सीखा तुमसे
तु अपना सबकुछ छोड़ मेरी जिंदगी में लायी बहार
बीवी बनकर तुने जीवन दिया सवार


बेटी तो लाती खुशियां ढेर सारी 
हसती खिलखिलाती तो दुनिया लगे न्यारी 
तु कभी दादी बनी और चाची कभी
कभी बुवा, मासी तो कभी भाभी 
हर रिश्ता मुझें क़ुछ सिखाता हैं
इसलिये आज सर प्रणाम करने झुकता हैं


कभी बनी तु शिक्षिका कभी प्यारी दोस्त मेरी 
जीवन की नैया पार लगाने क्या खूब सीख थी तेरी 
कभी दो वक्त की रोटी के लिए तु घर घर काम करे 
तु श्रमदेवता हैं ये मन तुझको नमन करे 


कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हर क्षेत्र में तु आज 
फिर भी कुछ हैं जो पीडे तुझको छोडकर शरम लाज 
दुख होता है देखके सुनके ऐसी बातें 
मैंने देखा है भगवान को भी रोते 


तु डरना नहीं कभी हारना नहीं 
हिम्मत और हौसले से चलना आगे 
तेरे जैसा कोई नहीं ओ नारी 
आज वंदन करती तुझको दुनिया सारी 









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