मेरा अच्छा दिल और बुरा दिल अक्सर बातें करते हैं
दोनों में एक अजीब-सी होड़ लगी रहती हैं।
हरेक मौके पे दोनों अपने विचार बयान करते हैं
जब अच्छा दिल जीतता है बुरा हार स्वीकारता हैं
लेकिन हारकर उसका हौसला बढ जाता है।
हर कोई निर्णायक मोड़ पर दोनों लड पडते है
इस अजीब लडाई का मैं इकलौता दर्शक होता हूँ
लडाई के मजे वो लेते संभ्रमित मैं होता हूँ।
कई बार जमाने के डर से या लाज शरम से
जीत होती हैं अच्छे दिल की लेकिन फिर वो
बुरे दिल की झुठी मुस्कान चुभती रहती है।
अच्छा दिल तब खुशी से झूमता, फूल जाता है
बुरे को मै सहलाता हूँ यह कहकर
तु हारा है लेकिन दिल छोटा ना कर।
वो मुझको समझाता है उसका हारना जरुरी है
मेरे बगैर अच्छे दिल का क्या महत्व है
मेरी हार और उसकी जीत यही जीवन का तत्व है।
बुरे दिल की ये अच्छाई स्तिमीत कर देती हैं
अच्छे दिल को जिताने वह अगली लडाई पर चल देता हैं
मैं हैरान हो के सोचता रहता हूँ कि सचमुच अच्छा कौन हैं?